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बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2650
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान

प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?

अथवा
1935 ई. के गवर्नमेन्ट ऑफ इण्डिया एक्ट की मुख्य धाराओं का विश्लेषण कीजिए।
अथवा
1935 के अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों की व्याख्या कीजिए और उसकी संक्षिप्त आलोचना कीजिए।
अथवा
"1935 के अधिनियम" की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारतीय शासन अधिनियम 1935 का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

गवर्नमेन्ट ऑफ इण्डिया एक्ट, 1935

ब्रिटिश सरकार ने आश्वासन देकर सन 1930 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन को खत्म कर दिया जिससे भारतीयों को यह आशा हुई कि अब उन्हें शासन प्राप्त हो जायेगा। परन्तु अंग्रेजी सरकार ने ऐसा नहीं किया।

पं. मदनमोहन मालवीय के शब्दों में, "गवर्नमेन्ट ऑफ इण्डिया एक्ट, 1935 बाहरी रूप में लोकतांत्रिक तथा भीतरी रूप में पूर्णतया धोखा था।'

इस अधिनियम के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित थे -

1. ब्रिटिश संसद का प्रभुत्व - गवर्नमेन्ट ऑफ इण्डिया एक्ट, 1935 के लागू हो जाने से भारत पर ब्रिटिश हुकूमत का प्रभुत्व बना रहा था। अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार समस्त अधिकार ब्रिटिश सम्राट को प्राप्त थे। भारत मंत्री को शासन का प्रमुख व्यक्ति बनाया गया था तथा गवर्नर जनरल भारत मंत्री का पिट्ठू होता था। इससे भारत को ब्रिटेन की आधीनता से मुक्ति नहीं मिल पायी थी।

2. कमजोर संघीय व्यवस्था - गवर्नमेन्ट ऑफ इण्डिया एक्ट, 1935 में जिस संघीय व्यवस्था को स्थापित करने का प्रावधान किया गया था वह अत्यन्त ही दुर्बल थी। देशी रियासतें संघ में शामिल होने के लिए स्वतंत्र थीं तथा ब्रिटिश प्रान्तों में लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले प्रान्तों तथा रियासतों में तालमेल बैठाना कठिन था। इस व्यवस्था में गवर्नर जनरल के विशेषाधिकार बने रहने के कारण भी यह व्यवस्था स्वीकार करने योग्य न थी।

3. गवर्नर का प्रान्त में पूर्ण स्वामी होना - गवर्नमेन्ट ऑफ इण्डिया एक्ट, 1935 के अन्तर्गत प्रान्त में गवर्नर पूर्ण स्वामी था तथा केन्द्र में वह गवर्नर जनरल कानूनी अधिनायक था। इन्हें निम्नलिखित अधिकार प्राप्त थे-

(i) गवर्नर तथा गवर्नर जनरल का बजट पर पूर्ण अधिकार था।
(ii) वे अंग्रेजी सरकार के लिए कार्य करते थे।

कानून और व्यवस्था की पूर्ण शक्ति गवर्नर जनरल को प्राप्त थी। गवर्नर जनरल के पास व्यापक प्रान्तीय शक्तियाँ थीं।

4. द्वैध शासन प्रणाली - गवर्नमेन्ट ऑफ इण्डिया एक्ट, 1935 के अन्तर्गत द्वैध शासन प्रणाली को अपनाया गया था। यह प्रणाली असफल थी क्योंकि सम्पूर्ण भारत पर इसे लागू करना अनुपयुक्त था।

5. संघीय न्यायालय - दिल्ली में एक संघीय न्यायालय की स्थापना की गयी थी। यह न्यायालय न तो सर्वोच्च न्यायालय था और न ही सर्वोच्च अपीलीय न्यायालय। यह देश का उच्च न्यायालय था।

6. साम्प्रदायिक निर्वाचन - इस अधिनियम के अन्तर्गत साम्प्रदायिक निर्वाचन एवं प्रतिनिधित्व की व्यवस्था को लागू किया गया। इसका देश में विरोध किया गया था।

7. आरक्षण एवं रक्षा-व्यवस्था की व्यवस्था - इस एक्ट के अन्तर्गत अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण एवं रक्षा कवच बनाने के सम्बन्ध में अधिकार गवर्नर एवं गवर्नर जनरल को दे दिये गये थे। इसलिए इस वर्ग के लोग गवर्नर जनरल की कृपादृष्टि पाने के लिए उनके पिट्ठू बन गये थे।

8. भारतीय को स्वयं निर्णय लेने का अधिकार न होना - भारत सरकार अधिनियम, 1935 के अन्तर्गत भारतीयों की आशानुरूप उन्हें आत्म-निर्णय का अधिकार नहीं दिया गया था। अंग्रेज भारतीयों को शासन करने में असक्षम मानते थे।

9. प्रान्तीय स्वराज्य पर रोक - यद्यपि प्रान्तों को शासनाधिकार प्रदान कर दिया गया था परन्तु वास्तव में उन्हें पूर्ण स्वराज्यीय संस्था नहीं बनाया गया था। गवर्नर जनरल को प्रान्तों के शासन को अपने हाथ में लेने का अधिकार था।

10. अनुचित मताधिकार - प्रान्तों में विधानमंडल के मत देने का अधिकार मात्र 16% आबादी को ही दिया जाता था। इसके सम्बन्ध में शिक्षा व सम्पत्ति को मापदण्ड माना गया था। अशिक्षित एवं गरीब व्यक्ति को मत देने का अधिकार नहीं था।

11. बर्मा को अलग कर देना - आर्थिक एवं सांस्कृतिक रूप से भारत के लिए उपयोगी बर्मा क्षेत्र को भारत से अलग कर दिये जाने से भारत को क्षति हुई थी।

12. मन्त्रियों का शक्तिहीन होना - प्रान्तीय शासन व्यवस्था पूर्ण स्वराज्यीय संस्था नहीं थी। प्रान्तीय स्वशासन में मंत्रियों को विभाग तो दिये गये थे परन्तु उनके पास शक्तियाँ बहुत सीमित थीं। मन्त्रियों की पदावधि गवर्नर तथा गवर्नर जनरल की इच्छा पर निर्भर थी। 

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के अनुसार, "यह घोषणा करना कि विधि एवं व्यवस्था मन्त्री को सौंप दी गयी है, छल एवं कपट से कम न था।'

गवर्नमेन्ट ऑफ इण्डिया एक्ट, 1935 में बहुत सी कमियाँ विद्यमान थीं। यह अधिनियम औपचारिक मात्र था। पंडित जवाहरलाल नेहरू के अनुसार, "यह (गवर्नमेन्ट ऑफ इण्डिया एक्ट, 1935) गुलामी का घोषणापत्र मात्र था।'

सन् 1935 ई. का अधिनियम दो आधारों पर 1919 के अधिनियम की अपेक्षाकृत उचित था। प्रथम तो इसमें प्रान्तों के द्वैधशासन के स्थान पर पूर्ण उत्तरदायी शासन की व्यवस्था थी। द्वितीय, केन्द्र में आंशिक उत्तरदायित्व की स्थापना का प्रयास किया गया। इसके अतिरिक्त विधान सभाओं के सदस्यों की संख्या में वृद्धि की गयी तथा मताधिकार का भी विस्तार किया गया।

परन्तु यह अधिनियम भी भारतीयों को सन्तुष्ट न कर सका। इसमें गवर्नर जनरल तथा गवर्नरों को इतने 'विशेष उत्तरदायित्व' तथा 'स्वविवेकी शक्तियाँ सौंपी गयी कि मन्त्रियों के पास शासन करने को कुछ शेष नहीं रहा। इसलिए प्रत्येक राजनीतिक दल ने इस अधिनियम की आलोचना की। पंए जवाहरलाल नेहरु ने इस अधिनियम की तुलना उस मोटर से की थी, जिसमें केवल ब्रेक हों और इंजन बिलकुल न हो। मुस्लिम लीग ने भी इस अधिनियम की आलोचना की। जिन्ना के अनुसार, "1935 ई. की योजना पूर्ण रूप से सड़ी हुई, मौलिक रूप से खराब तथा पूर्ण रूप से अस्वीकृति के योग्य थी"।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
  2. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
  3. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  5. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  6. प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
  7. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
  9. प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
  12. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
  13. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
  14. प्रश्न- संघवाद (Federalism) से आप क्या समझते हैं? क्या भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है? यदि हाँ तो उसके लक्षण क्या-क्या हैं?
  15. प्रश्न- भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था स्थापित करता है। संक्षेप में बताएँ।
  16. प्रश्न- संघवाद से आप क्या समझते हैं? संघवाद की पूर्व शर्तें क्या हैं? भारत के सन्दर्भ में संघवाद की उभरती हुई प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
  17. प्रश्न- भारत के संघवाद को कठोर ढाँचे में नही ढाला गया है" व्याख्या कीजिए।
  18. प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
  19. प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
  20. प्रश्न- संघीय व्यवस्था में केन्द्र शक्तिशाली है क्यों?
  21. प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।
  22. प्रश्न- क्या क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय संघीय व्यवस्था के लिए संकट है? चर्चा कीजिए।
  23. प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?
  25. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  26. प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
  28. प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।
  29. प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
  30. प्रश्न- दलीय प्रणाली (Party System) में क्या दोष पाये जाते हैं?
  31. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  32. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय दलों के उदय एवं विकास के लिए उत्तरदायी तत्व कौन से हैं?
  33. प्रश्न- 'गठबन्धन धर्म' से क्या तात्पर्य है? क्या यह नियमों एवं सिद्धान्तों के साथ समझौता है?
  34. प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
  35. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?
  36. प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  37. प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
  38. प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  40. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
  43. प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
  46. प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
  47. प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
  48. प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
  49. प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
  50. प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
  51. प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
  52. प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
  54. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  55. प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
  56. प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
  60. प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  62. प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
  63. प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
  64. प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  65. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  66. प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
  67. प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
  68. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  69. प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
  70. प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
  71. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
  73. प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
  76. प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
  77. प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  78. प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
  79. प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
  82. प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
  83. प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
  84. प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
  85. प्रश्न- क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) से क्या अभिप्राय है? इसने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है? क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण हैं?
  86. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
  87. प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
  88. प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
  89. प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
  90. प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
  91. प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
  92. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
  93. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
  94. प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
  95. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
  96. प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
  97. प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
  98. प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
  99. प्रश्न- उत्तर प्रदेश के बँटवारे की राजनीति को समझाइए।
  100. प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  102. प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
  104. प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
  105. प्रश्न- भ्रष्टाचार उन्मूलन के कौन-कौन से उपाय हैं?
  106. प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  110. प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
  111. प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  112. प्रश्न- भ्रष्टाचार की विशेषताओं को बताइए।
  113. प्रश्न- लोक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण बताइये।
  114. प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
  115. प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
  116. प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
  117. प्रश्न- दल-बदल कानून (Anti Defection Law) पर टिप्पणी कीजिए।
  118. प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।

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